दिल्ली दिलवाले का शहर कहा जाता है और दिल्ली का दिल दिल्ली के कनॉट प्लेस को माना जाता है इस जगह पर आपको अमीर-गरीब और बच्चे-बूढ़े दिख जाएंगे. यहां आपको कहीं कोई अंडरग्राउंड मार्केट में शॉपिंग करता दिख जाएगा चलिए जानते है इसके बारे में विस्तार से…
देखिये कनॉट प्लेस का इतिहास बहुत पुराना है यह अपने खूबसूरत आर्किटेक्चर के लिए फेमस इस इलाके का इतिहास काफी पुराना और शानदार है. आज के इस खबर में हम आपको बताने वाले है की आखिर कैसे कनॉट प्लेस का नाम कनॉट प्लेस पड़ा है चलिए जानते है.
एक वेबसाइट है इन्टरनेट जिसका नाम मीडियम है उसके मुताबिक भारत की जानी-मानी इतिहासकार स्वपना लिडल की एक किताब है, ‘कनॉट प्लेस एंड द मेकिंग ऑफ न्यू डेल्ही इस बुक में बहुत ही विस्तार के साथ मॉडर्न दिल्ली और कनॉट प्लेस के बारे में जिक्र किया गया है.
इसके मुताबिक कॉनट प्लेस का नाम इंग्लैंड के प्रिंस आर्थर के नाम पर रखा गया, जिन्हें ड्यूक ऑफ कनॉट भी कहा जाता था. साथ ही यह भी बताया गया है की कनॉट प्लेस को 1929 से 1933 के बीच बनाया गया. और इसको बनाने में करीब 4 साल का लम्बा वक़्त भी लगा था.कनॉट प्लेस को आर्किटेक्ट रॉबर्ट टॉर रसेल डिजाइन कर रहे थे.
आज कनॉट प्लेस को पूरी दुनिया के लोग जानते है और आज इसकी पहचान एक अलग रूप में है यहाँ वो साड़ी सुख-सुविधाएँ मिलती है जो की लोगों को चाहिए बड़े-बड़े दुकाने से लेकर रेस्टुरेंट के साथ और बहुत सारे चीज कनॉट प्लेस को अपने आप में अजूबा बनाती है.