दोस्तों यह प्रेरणादायक कहानी है. केरल के कासरगोड जिले के पनाथाडी गांव की 42 वर्षीय कुसुमवती की. बता दे कि कुसुमवती ने अपनी मेहनत और समर्पण से समाज के सामने एक नई मिसाल पेश की है. आइये जानते है इनके सफलता के बारे में…
जानकारी के अनुसार कुसुमवती का बचपन गरीबी में बीता. छह बहनों के साथ उनके माता-पिता की स्थिति इतनी दयनीय थी कि सभी की शिक्षा का खर्च उठाना संभव नहीं था. छोटी उम्र से ही उन्होंने परिवार की मदद के लिए काम करना शुरू किया.
बता दे कि उन्होंने गांव में एक बूढ़ी महिला की देखभाल का काम शुरू की. इसके बाद कुसुमवती खेती-बाड़ी करने की सोची. उन्होंने तीन प्लॉट लीज पर लेकर विभिन्न मौसमी सब्जियां जैसे कद्दू, करेला, बैंगन, भिन्डी, मिर्च, खीरा, तरबूज, मक्का और टमाटर उगाए.
उनका कहना है कि अगर वे दो महीने भी अपने किचन गार्डन में मेहनत करती हैं. तो अगले तीन महीने के लिए सब्जियों की कमी नहीं होती. इसके अलावा कुसुमवती कटहल, निम्बू और आम उगाकर 100 से ज़्यादा उत्पाद बनाती हैं.