दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग का कहर जारी है. दिल्ली एनसीआर में पिछले कई दिनों से धुंध छाया हुआ है. ऐसा लग रहा है की स्मोग पुरे दिल्ली एनसीआर पर डेरा डाल कर बैठ गया है. पुरे दिल्ली एनसीआर की हवा की गुणवत्ता बेहद खराब स्तर पर पहुंच चुकी है. प्रदूषण का यह स्तर अब चिंता का विषय बन गया है. कई विशेषज्ञ का मानना है की इस स्मोग का समाधान केवल कृत्रिम बारिश से ही संभव दिख रहा है. वैसे तो अभी असली बारिश की कोई सम्भावना नहीं है. लेकिन ऐसे में अगर कृत्रिम बारिश कराई गई तो दिल्ली एनसीआर के ऊपर वाले प्रदुषण से राहत जरुर मिल जाएगी.

आपको बता दें की पिछले कई दिनों से दिल्ली-एनसीआर स्मॉग की चादर में लिपटा हुआ है. असली बारिश के कोई संकेत नहीं होने के कारण हालात और भी गंभीर हो गए हैं. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि कृत्रिम बारिश जिसे क्लाउड सीडिंग कहा जाता है. क्लाउड सीडिंग से बारिश होगी तो राहत मिल जाएगी.

क्या है क्लाउड सीडिंग?

क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें बादलों में विशेष रसायनों का छिड़काव किया जाता है. यह रसायन बादलों को संघनित करते हैं और बारिश का कारण बनते हैं. भारत में पिछले 70-72 वर्षों में इस तकनीक का उपयोग कई इलाकों में किया जा चुका है. भारत में कई स्थानों पर कृत्रिम बारिश का प्रयोग सफलतापूर्वक किया जा चूका है.
2018 में दिल्ली में तैयारी: 2018 में दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के लिए तैयारियां की गई थीं लेकिन इसे लागू नहीं किया गया.
लखनऊ और महाराष्ट्र में सफलता: लखनऊ और महाराष्ट्र में इस तकनीक का उपयोग करके बारिश कराई गई जा चुकी है.

हालांकि अभी तक दिल्ली-एनसीआर में कृत्रिम बारिश को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है. लेकिन यदि इस तरह की योजना को लागू किया गया तो स्मॉग से लड़ने में यह एक प्रभावी कदम साबित हो सकता है.