यूपीएससी (संघीय लोक सेवा आयोग) की परीक्षा देने जाना एक अद्वितीय अनुभव होता है. कई सालों की मेहनत दांव पर लगी होती है. उसी परीक्षा के चंद घंटे बीते वर्षो का संघर्ष को डीसाईंड करती है. और जब रिजल्ट की बारी आती है तो वहां का माहौल तो कहीं ख़ुशी तो कहीं गम वाला होता है. किसी का पास वाले लिस्ट में नाम सबसे ऊपर होता हो तो किसी का नाम निचे से चेक करने पर भी नहीं मिलता है.

विभांशु का भी कुछ ऐसा ही हाल था. UPSC के पहले चार एटेम्पट में तो निचे से खोजने पर भी नाम नहीं मिलता था. वो जब भी IAS की रिजल्ट देखने जाते तो उधर से दुखी ही लौटते. ये संघर्ष वर्षो तक चला. अक्सर विभांशु टूट जाते और सोचते की आगे क्या होगा. लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. हमेशा फिर से तैयार में लग जाते .

विभांशु का पांचवां UPSC रिजल्ट आया था. वो रिजल्ट देखने गए थे. लेकिन इस बार कुछ चमत्कार हुआ और उनका नाम उस लिस्ट में था जो अभियार्थी UPSC की परीक्षा पास कर गए थे. मेरे हिसाब से इसे चमत्कार कहना ठीक नहीं होगा, क्योकि ये तो विभांशु की निष्ठां और कड़ी मेहनत थी तो सफलता के रूप में आई थी. इस बार उनको आल इंडिया 772वीं रैंक हासिल हुई थी.

आपको बता दें की विभांशु दिल्ली एनसीआर के फरीदाबाद में अपने मामा के यहाँ रहते थे. वहीँ रह कर उन्होंने पूरी पढाई की थी. विभांशु मूल रूप से बिहार के रहने वाले है. विभांशु की कहानी हमें यह सिखाती है कि हार कभी नहीं माननी चाहिए। जीवन में कभी-कभी हार से बड़ी सीख मिलती है. विभांशु का उदाहरण हमें यह दिखाता है कि मेहनत और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है.

Rishav Roy, a journalist with four years of expertise, excels in content writing, news analysis, and cutting-edge ground reporting. His commitment to delivering accurate and compelling stories sets him...