विपरीत परिस्थितियों से लड़कर आगे बढ़ने वाले लोग इतिहास रचते हैं। मलय देबनाथ भी इसी श्रेणी के लोगों में शामिल हैं। उन्होंने कैटरिंग फर्म खोलकर एक मिसाल पेश की। देबनाथ के दादा पूर्वी बंगाल से पश्चिम बंगाल आए थे। उनके परिवार में समाज में प्रतिष्ठा थी। उनके परिवार ने गांव में वंचित बच्चों के लिए स्कूल भी बनवाया।
लेकिन राजनीतिक असहमति के कारण उनका कारोबार बर्बाद हो गया। दिल्ली आने के बाद देबनाथ के पास मात्र 100 रुपये थे। उन्हें अपने परिवार की जिम्मेदारी निभानी पड़ी। वह दिल्ली में कैटरर के लिए काम करने लगे। मलय ने कई कठिनाईयों के बावजूद मेहनत की। उन्हें काम के लिए खुद को प्रोत्साहित करना पड़ा।
उनकी सैलरी में वृद्धि हुई और उन्हें अधिक जिम्मेदारी मिली। उन्होंने होटल मैनेजमेंट में भी पढ़ाई की। दिल्ली में इवेंट मैनेजमेंट फर्म में सुपरवाइजर बने। उन्होंने छह ट्रेनों के पैंट्री का प्रबंधन भी किया। उन्होंने अपनी कैटरिंग कंपनी भी शुरू की। आज वह 35 से अधिक आर्मी मेस सुविधाओं की देखरेख कर रहे हैं।
उन्होंने उत्तर बंगाल में चाय बागानों सहित 200 करोड़ रुपये की संपत्ति बनाई है। उनकी दो बेटियां पढ़ाई कर रही हैं। देबनाथ ने मेहनत और संघर्ष के माध्यम से सफलता प्राप्त की। उनकी कहानी से हमें आत्मनिर्भरता और संघर्ष की महत्ता समझाई जा सकती है। उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए किया।