यह कहानी सफलता का एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करती है, जिसमें दो युवा एमबीए के दोस्त वैभव जायसवाल और अमरदीप बर्धन अपने संयुक्त उत्कृष्ट और उत्पादक विचारों से एक सफल व्यवसाय बनाते हैं। इन दोनों दोस्तों ने अरेका पाम (सुपारी) के पत्तों का उपयोग करके एक कंपनी खड़ी की, जो पर्यावरण के साथ-साथ स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान करती है।
वे निर्माताओं के साथ साझेदारी करके प्लेटों का उत्पादन करते हैं, जो विभिन्न प्रकार के उत्पादों के लिए उपयोगी होते हैं। उन्होंने उत्पादों को विशेष रूप से अमेरिकी बाजार में प्रस्तुत किया, जिससे उनके व्यापार का विस्तार हुआ। इसके साथ ही, वे एक संगठनात्मक मॉडल को अपनाते हैं जिसमें स्थानीय लोग, विशेष रूप से महिलाएं, काम करती हैं।
वे विभिन्न राज्यों में मुख्य इकाइयों और उप-इकाइयों की स्थापना करते हैं, जो प्रकृति के उत्पादों को बाजार में प्रस्तुत करते हैं। उनकी कंपनी उत्पादों को सुपरमार्केट चेन, ऑनलाइन मार्केटप्लेस, और खुदरा विक्रेताओं के माध्यम से बेचती है।
अरेका पाम (सुपारी) के पत्तों का इस्तेमाल भारत में सदियों से पत्तल बनाने के लिए किया जाता रहा है। ये प्लेट पर्यावरण अनुकूल होने के साथ स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी देती हैं। अमरदीप बर्धन और वैभव जायसवाल ने अरेका पाम के फायदों को पहचानते हुए अपने बिजनेस के लिए इसी मटीरियल पर फोकस करने का फैसला किया। दुनिया में 75 फीसदी अरेका भारत में होते हैं। इससे इन पत्तों से बने कोई भी उत्पाद भारतीय एकाधिकार वाले प्रोडक्ट बन जाते हैं। इसके अलावा कच्चे माल के लिए चीन जैसे किसी देश से प्रतिस्पर्धा का भी डर नहीं रहता है। अरेका के प्रमुख बागान वाले राज्य तमिलनाडु, कर्नाटक, असम और केरल हैं। इस आइडिया के बूते इन दो दोस्तों ने 20,000 रुपये के निवेश से 23 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी।