सपनों में जाने वाले लोग ही मंजिल प्राप्त करते हैं। पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान मिलती है। गणेश बरैया ने तीन फीट के अंतर को पार किया। विट्ठल किसान के बेटे गणेश की मां ने उन्हें डॉक्टर बनने के सपने देखे। गणेश बरैया भावनगर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर बनने के लिए तैयार हैं। गणेश का परिवार गोरखी गांव में रहता है। उनके परिवार में सबसे पहले डॉक्टर बनने वाले व्यक्ति हैं।

2018 में गणेश को एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश से वंचित किया गया था। गणेश बरैया अब इंटर्नशिप कर रहे हैं। उनके शरीर का 72 फीसदी हिस्सा लोकोमोटिव विकलांगता से प्रभावित है। गणेश ने मुश्किलों का सामना किया और अपने सपनों को पूरा किया। गणेश की इच्छा है कि वह ग्रामीण समुदायों की सेवा करें। गणेश के लिए डॉक्टर बनना मुश्किल रहा है।

उनके परिवार में कोई भी दसवीं कक्षा से आगे की पढ़ाई नहीं की है। गणेश बरैया ने अपनी पूरी ताकत जुटाई और अपने सपनों को पूरा किया। डॉक्टरी की पढ़ाई के बाद वे अपने पेशे में सकारात्मक योगदान दे रहे हैं। गणेश ने सुप्रीम कोर्ट में अपने अधिकार के लिए अपील की। गणेश ने नीलकंठ विद्यापीठ में कक्षा 9 में पढ़ते हुए डॉक्टर बनने का निर्णय लिया। गणेश के प्रिंसिपल और ट्रस्टी ने उनकी मदद की।

गणेश के आर्थिक सहायता के लिए प्रिंसिपल ने मदद की। गणेश ने प्रवेश परीक्षा में बहुत अच्छे अंक हासिल किए थे। गणेश ने मजबूत संकल्प के साथ अपनी चुनौती का मुकाबला किया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपने अधिकार के लिए अपील की। गणेश का परिवार गोरखी गांव में रहता है जो किसानों के परिवार से है। गणेश ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत की। गणेश की प्रेरणा से भरी कहानी लोगों को प्रेरित करती है।

Rishav Roy, a journalist with four years of expertise, excels in content writing, news analysis, and cutting-edge ground reporting. His commitment to delivering accurate and compelling stories sets him...