अगर जीवन में कठिनाई आ रही है तो इसका साफ़ और सीधा मतलब है की आगे आने वाला समय कामयाबी लेकर आएगा. बस शर्त इंतनी है की जो भी काम आप कर रहे है उनको निरंतर करते जाये. कभी भी हार न माने. राजेंद्र गुप्ता भारतीय उद्यमियों में एक ऐसा ही उदाहरण पेश कर रहे हैं.
राजेंद्र गुप्ता ने 15 वर्ष से ही काम करना शुरू कर दिया है. उन्होंने महज कम उम्र में यानि 9th क्लास में अपनी पढाई को अलविदा कहना पड़ा था. फिर उन्होंने मात्र 30 रुपया रोजाना पर काम करना शुरू कर दिया. यह बात 80 के दसक की है. जब रंजेंद्र गुप्ता बहुत छोटे हुआ करते है. आज राजेंद्र गुप्ता एक सफल उद्योगपति है. वो 12 हजार करोड़ वाली ट्राइडेंट ग्रुप के फाउंडर है.
आपको लगता होगा की गरीबी से यहाँ तक का सफ़र आसान ही रहा होगा, लेकिन ऐसा नहीं है यह सफ़र काफी कठिनाईयों भरा था. लेकिन राजेंद्र गुप्ता ने अपनी मेहनत और संघर्ष से सफलता प्राप्त की। उन्होंने बहुत छोटे से काम करके ट्राइडेंट ग्रुप की स्थापना की, जो विभिन्न उद्योगों में अपनी पहचान बनाई।
उनकी संपत्ति अब 12,368 करोड़ रुपये से अधिक है। उन्होंने प्रेरणा और काम के माध्यम से युवाओं को सिखाया कि कठिनाइयों का सामना करके वे अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। 1985 में उन्होंने अभिषेक इंडस्ट्रीज की स्थापना की। उनकी कंपनी 100 से भी अधिक देशों में कारोबार करती है।
ट्राइडेंट ग्रुप आज से समय में कपडा और कागज का सबसे प्रमुख उत्पादक कंपनी है. उनके ग्राहकों में बड़े नाम शामिल हैं। जेसीपीनी, वॉलमार्ट और लक्ज़री एंड लिनन जैसी बड़ी कंपनी से साथ ये कारोबार करती है. वे टेक्सटाइल और कागज उद्योग में दबदबा बना चुके हैं.