दोस्तों परिस्थिति इंसान को कुछ भी करने पर मजबूर कर देती है. हां हम बात कर रहे हैं. उत्तराखंड की रेखा लोहनी पांडे ( Rekha Lohni Pandey) की .जिन्होंने कितने कष्ट काटे घर की हालात सही नहीं था. पति भी बीमार चल रहे थे. टैक्सी चलाकर अपना गुजर-बसर कर रही थी. जैसे कि आप जानते होंगे कि ड्राइविंग के बारे में महिलाओं को गारी बहुत कम चलाने की इच्छा होती है. पढ़ाई के बारे में बात करें तो वकालत की पढ़ाई कर चुकी है. लेकिन घर की हालत ठीक नहीं होने के कारण. इन्हें टैक्सी चलाना पड़ता था. उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के गरूर क्षेत्र के भेटा की रहने वाली थी.
और उनका ससुराल अल्मोड़ा जिले के रानी खेत में है.अपने परिवार चलाने के लिए रेखा ने टैक्सी चलाना शुरू कर दिया. और उत्तराखंड की पहली टैक्सी ड्राइवर महिला बन गई. रेखा के पति का नाम मुकेश चंद्र पांडे( Mukesh Chandra Pandey) था. जो फौजी थे. रेखा टैक्सी चलाना इसलिए शुरू कर दी क्योंकि उसका पति का तबियत खराब हो गया था. मिली जानकारी के अनुसार रेखा के पति फौज से रिटायर होने के बाद वो टैक्सी चलाते थे. उन्होने ट्रैवल का काम शुरू किया था .अचानक मुकेश पाण्डेय बीमार पड़ गए थे. उनकी तबियत में सुधार दिख नहीं रही थीं.
उन्होने इस कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए ड्राइवर रखा. लेकिन उससे कोई फायदा नहीं हो रहा था. इस सब को देखकर रेखा ने खुद टैक्सी चलाने का फैसला किया. पहले दिन उन्हे थोड़ी मुस्किल लगी लेकिन धीरे धीरे वह टैक्सी चलाना सीख गई. टैक्सी चलाते समय रेखा को अपनो से ही ताने सुनने परते थे. लेकिन वह इन सब बातों पर ध्यान नहीं देती थीं. साथ ही उसको घर का सारा काम करना परता था. रेखा के पास तीन बेटियां थीं. तीनो बेटियों का पालन पोषण करना होता था. कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता आत्मविश्वास व आत्मनिर्भर होनी चाहिए..